लॉकडाउन के दौरान अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए जब किराए के घरों में रहना और खाने पीने की सामग्री जुटाना मुश्किल हो गया तो उन्हें अपना घर औरपरिवार याद आया। पर समस्या यह थी कि जाएं तो जाएं कैसे क्योंकि न तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट चल रहा है और न तो अपनी गाड़ियों से जा सकते हैं। ऐसे में अधिकतर लोगों ने हिम्मत जुटाई और पैदल ही निकल पड़े अपने गांव की ओर।
कुछ ऐसी ही कहानी उत्तराखंड में फंसे यूपी और बिहार के अलावा नेपाल के मजदूरों की है। उन्होंने भी पैदल ही अपने गांव की दूर तय करना मुनासिब समझा। इस दौरान रास्ते में कुछ नेक लोगों की वजह से कुछ लोगों को तो भोजन उपलब्ध हो गया लेकिन अधिकतर ने पानी पीकर यह दूरी तय की। इस बारे में जब अमर उजाला ने इन लोगों से बात की तो कइयों की आंखें नम हो उठीं।
कुछ ऐसी ही कहानी उत्तराखंड में फंसे यूपी और बिहार के अलावा नेपाल के मजदूरों की है। उन्होंने भी पैदल ही अपने गांव की दूर तय करना मुनासिब समझा। इस दौरान रास्ते में कुछ नेक लोगों की वजह से कुछ लोगों को तो भोजन उपलब्ध हो गया लेकिन अधिकतर ने पानी पीकर यह दूरी तय की। इस बारे में जब अमर उजाला ने इन लोगों से बात की तो कइयों की आंखें नम हो उठीं।
दिल्ली से भूखे-प्यासे, थके-हारे पहुंचे भीमताल
दिल्ली से भूखे-प्यासे और थके हारे युवक रविवार दोपहर एक बजे भीमताल पहुंचे। मटेला निवासी संतोष, पवन, जीवन, कैलाश, भाष्कर और बेतालघाट सिमलखा के राकेश चंद्र ने बताया कि शुक्रवार की सुबह 10 बजे पैदल आंनद बिहार रोडवेज स्टेशन तक पहुंचे। वहां से रामपुर बाईपास तक बस में आए और रामपुर से सात किमी पैदल चलकर बाजार पहुंचे।
वहां से एक वाहन ने 200 रुपये प्रति सवारी लेकर रुद्रपुर तक छोड़ दिया। रुद्रपुर से हल्द्वानी 40 किमी पैदल पहुंचे। हल्द्वानी से 15 किमी काठगोदाम तक पैदल यात्रा की। काठगोदाम से पुलिस ने भीमताल तक बस में भिजवा दिया। वापस लौटे युवकों ने बताया कि रोजगार होटल स्वामियों ने उन्हें सहयोग किया। रास्ते में लोगों ने जो खिलाया वही खाकर भीमताल तक पहुंचे।
22 मजदूर 15 किमी पैदल चलकर बागेश्वर पहुंचे
बरेली, बहेड़ी के 22 मजदूरों ने काम बंद होने के कारण घर लौटने की सोची और 15 किमी पैदल चलकर बागेश्वर पहुंच भी गए लेकिन यहां से साधन नहीं मिलने पर इन मजदूरों को रात बागेश्वर के रोडवेज स्टेशन में काटनी पड़ी। रविवार को भी इन मजदूरों को घर जाने के लिए वाहन नहीं मिला। उतर प्रदेश के बरेली और बहेड़ी के 22 मजदूर सड़क निर्माण के काम के लिए एक महीने पहले बागेश्वर के नौगांव आए थे।
मसरूर खान, फिरोज अली, अनीस खान, बाबू राम, धीरज ने बताया कि वे लोग लगभग 15 किमी पैदल चलने के बाद रात करीब 12 बजे बागेश्वर पहुंचे। इन लोगों ने रात बागेश्वर के बिलौना स्थित रोडवेज बस अड्डे पर काटी। बताया कि यहां फंसने से घर पर लोग परेशान हैं। ये लोग रविवार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर बरेली तक वाहन की व्यवस्था करने की गुहार लगा रहे थे। एसडीएम बागेश्वर राकेश तिवारी का कहना है कि शासन से बाहरी प्रदेशों के मजदूरों के पास बनाने की अनुमति नहीं मिली है। संभावना है कि 31 मार्च को बाहरी लोगों को बॉर्डर तक छुड़वाया जाए। तब तक इनके रहने, खाने की व्यवस्था बागेश्वर के स्वराज भवन में की गई है।
वहां से एक वाहन ने 200 रुपये प्रति सवारी लेकर रुद्रपुर तक छोड़ दिया। रुद्रपुर से हल्द्वानी 40 किमी पैदल पहुंचे। हल्द्वानी से 15 किमी काठगोदाम तक पैदल यात्रा की। काठगोदाम से पुलिस ने भीमताल तक बस में भिजवा दिया। वापस लौटे युवकों ने बताया कि रोजगार होटल स्वामियों ने उन्हें सहयोग किया। रास्ते में लोगों ने जो खिलाया वही खाकर भीमताल तक पहुंचे।
22 मजदूर 15 किमी पैदल चलकर बागेश्वर पहुंचे
बरेली, बहेड़ी के 22 मजदूरों ने काम बंद होने के कारण घर लौटने की सोची और 15 किमी पैदल चलकर बागेश्वर पहुंच भी गए लेकिन यहां से साधन नहीं मिलने पर इन मजदूरों को रात बागेश्वर के रोडवेज स्टेशन में काटनी पड़ी। रविवार को भी इन मजदूरों को घर जाने के लिए वाहन नहीं मिला। उतर प्रदेश के बरेली और बहेड़ी के 22 मजदूर सड़क निर्माण के काम के लिए एक महीने पहले बागेश्वर के नौगांव आए थे।
मसरूर खान, फिरोज अली, अनीस खान, बाबू राम, धीरज ने बताया कि वे लोग लगभग 15 किमी पैदल चलने के बाद रात करीब 12 बजे बागेश्वर पहुंचे। इन लोगों ने रात बागेश्वर के बिलौना स्थित रोडवेज बस अड्डे पर काटी। बताया कि यहां फंसने से घर पर लोग परेशान हैं। ये लोग रविवार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर बरेली तक वाहन की व्यवस्था करने की गुहार लगा रहे थे। एसडीएम बागेश्वर राकेश तिवारी का कहना है कि शासन से बाहरी प्रदेशों के मजदूरों के पास बनाने की अनुमति नहीं मिली है। संभावना है कि 31 मार्च को बाहरी लोगों को बॉर्डर तक छुड़वाया जाए। तब तक इनके रहने, खाने की व्यवस्था बागेश्वर के स्वराज भवन में की गई है।